आनंद के पापा, उसे स्कूल से पिक करके, घर छोड़ने, जा ही रहे थे, कि आनंद ने उनके साथ जाने की जिद्द की। असल में उन्हें, एक मीटिंग में जाना था। देर हो रही थी, इसलिए आनंद की जिद्द मान ली। एक बड़ी कंपनी में पहुंचे। आनंद को खाने पीने की चीजें देकर, रिसेप्शन में, छोड़ गए और खुद किसी के साथ मीटिंग में चले गए। कुछ देर बाद, आनंद के पापा आए और वो दोनों, वहां से निकल ही रहे थे। कि इतने में, आनंद की नजर, वहां एक बागीचे पर पड़ी। उसने कहा- मुझे ये फूल चाहिए। आनंद के पापा ने कहा- जाओ, ले आओ। लेकिन एक शर्त है- तुम एक बार आगे बढ़ गए, तो वापस पीछे मुड़कर फूल नहीं तोड़ना है।
आनंद जैसे ही बागीचे में पहुंचा, उसे पहली कियारी में लगा फूल ही पसंद आ गया। लेकिन उसने आगे नजर बढ़ाई, तो दूर तक रंग बिरंगे फूल थे। उसे लगा आगे और भी सुंदर फूल होंगे, और वो आगे बढ़ गया। जैसे जैसे वो आगे बढ़ता गया, बहुत सुंदर फूल दिखे। सबसे सुंदर फूल की तलाश में, वो चलता गया, और बागीचे के अंत में पहुंच गया, जहां मुरझाए फूल थे। यह देखकर वो दुखी हुआ, क्योंकि शर्त के अनुसार अब वो, पीछे मुड़कर, फूल नहीं तोड़ सकता था। वो खाली हाथ वापस लौट आया। ठीक यही, हमारी जिंदगी में होता है। सबसे अच्छे मौके की तलाश में, हम कई बेहतर मौके खो देते हैं। किसी भी मौके को जाने मत दो। क्या पता, आगे चलकर वही, सबसे बेहतर साबित हो।